
बोले ग्रामीण… अन्नदाता का नाम लेकर गुंडागर्दी करने वाले किसान नहीं हो सकते
नयी दिल्ली: दिल्ली के बॉर्डर पर एक तरफ बड़ी संख्या में किसान महीनों से कृषि बिल को वापस लिए जाने की मांग को सड़क घेर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं वहीं करनाल में किसानों की भीड़ उस वक्त हिंसक हो गई जब उन्हें यह खबर मिली कि प्रदेश के मुखिया मनोहर लाल किसानों के साथ महापंचायत करने वाले हैं। भाजपा द्वारा इस महापंचायत की व्यापक तैयारी की गइ थी।
ये हंगामा उस वक्त हुआ जब हरियाणा के करनाल के कैमला गांव में किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल की रैली का विरोध किया। प्रदर्शनकारी किसानों ने जब रैली स्थल पर पहुंचकर महापंचायत को बाधित करना चाहा तो पुलिस ने किसानों को रोका तो दोनों के बीच झड़प शुरू हो गई। हंगामा इस कदर बढ़ा कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पड़े और वॉटर कैनन भी चलानी पड़ी।
मुख्यमंत्री के किसान महापंचायत के लिए उपद्रवी तत्वों द्वारा हंगामा होने की आशंका के मद्देनजर प्रशासन व्यापक तैयारी की थी। सुरक्षा को देखते हुए दूसरे जिलों से भी पुलिस बल मंगाया गया था। वहीं गांव को जोड़ने वाले सभी रास्तों पर कुल सात जगह नाकाबंदी की गई थी। इतनी तैयारी होने के बावजूद कृषि बिल का विरोध करने आये उपद्रवी किसान पीछे हटने को तैयार नहीं हुए। स्थिति को बेकाबू होते देख पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। हालांकि पुलिस ने पहले उपद्रवी किसानों को चेतावनी देते हुए पीछे हटने को कहा। जब प्रदर्शनकारी किसान नहीं माने तो पुलिस ने पानी की तेज धार से किसानों को पीछे ढ़केलने की कोशिश की। इस दौरान उपद्रवी किसानों की पुलिस से झड़प हुई और बेकाबू आंदोलनकारी हेलीपैड और रैली स्थल तक पहुंच गए। हेलीपैड को भी तोड़ दिया। इतना ही नहीं उन्होंने मंच के पास पहुंचकर तोड़फोड़ की। कुर्सियां फेंके। प्रदेश भाजपा प्रमुख ओम प्रकाश धनखड़ के साथ बहस भी हुई। खराब मौसम का हवाला देकर मुख्यमंत्री का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है।
हालांकि करनाल के कैमला गांव व उसके आसपास के गांव के किसानों ने महापंचायत में उपद्रव करने पहुंचे लोगों का विरोध करते हुए कहा कि ये सारे किसान नहीं हो सकते। ये कांग्रेस के भाड़े के कार्यकर्ता हैं और इसमें बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से आये अराजक तत्व भी शामिल हैं जो प्रदेश का माहौल बिगाड़ना चाहते हैं। इन किसानों का कहना था कि प्रदेश के किसान केंद्र सरकार के फैसले के साथ हैं,यही कारण है कि इतनी बड़ी संख्या में किसान यहां मुख्यमंत्री को सुनने के लिए एकत्रित हुए। उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि किसी भी कीमत पर कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि ऐसा करना किसानों के हित के खिलाफ होगा।
वही कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि बीजेपी पंचायत के ऐसे आयोजनों के जरिए किसानों को गुमराह कर रही है।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे किसानों का संयुक्त मोर्चा एक अहम बैठक करेगा। बैठक में आगे की रणनीति पर चर्चा होगी। किसान 26 जनवरी की तैयारियों का ऐलान भी कर सकते हैं। वहीं, कल यानी 11 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में कृषि कानूनों को रद्द करने की अर्जी पर सुनवाई होनी है।
हालांकि किसानों को सरकार के बीच आगामी 15 जनवरी को फिर से वार्ता होनी है लेकिन किसान संगठनों ने आगे की तैयारी की घोषणा पहले ही कर दी है। कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस ने 15 जनवरी को देशभर में राजभवन के बाहर धरना-प्रदर्शन करने का फैसला लिया है। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि हर राज्य के राजभवन का कांग्रेस कार्यकर्ता घेराव करेंगे।
ये है आगे की रणनीति
13 जनवरी: लोहड़ी को देशभर में ‘किसान संकल्प दिवस’ के रूप में मनाएंगे। तीनों कानूनों की प्रतियां जलाई जाएंगी।
18 जनवरी: ‘महिला किसान दिवस’ मनाएंगे। हर गांव से 10-10 महिलाओं को दिल्ली बॉर्डर पर लाएंगे।
23 जनवरी: सुभाषचंद्र बोस की याद में ‘आजाद हिंद किसान दिवस’ मनाकर राज्यों में राज्यपाल के निवास का घेराव करेंगे।
26 जनवरी: राजपथ पर ट्रैक्टर परेड निकालेंगे। दावा है कि इसमें एक लाख ट्रैक्टर होंगे। महिलाएं इसकी अगुवाई करेंगी।