- नो पीरियड्स नो लाइफ…मेरा सेनेटरी पैड मेरी जिम्मेदारी: साध्वी भगवती सरस्वती
ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन में 75 वें अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती ने मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर ‘देवी स्वस्थ तो देश स्वस्थ’ का संदेश दिया।
‘मासिक धर्म स्वच्छता‘ सबसे चुनौतीपूर्ण विकासात्मक मुद्दों में से एक है, जिसका सामना हमारी मातायें और बहने प्रतिमाह करती हैं, विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देशों में, मानसिकता, रीति-रिवाज और पूर्वाग्रह के कारण महिलाओं को मासिक धर्म की स्वास्थ्य देखभाल हेतु अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मासिक धर्म एक प्राकृतिक और स्वस्थ जैविक प्रक्रिया है, इसके बावजूद भारतीय समाज में कई स्थानों पर आज भी अशुद्ध माना जाता है।
सांस्कृतिक और सामाजिक प्रभाव और वर्जनाओं के कारण किशोर लड़कियों को मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में शिक्षित करना एक बड़ी समस्या है। मासिक धर्म लड़कियों में यौवन की शुरुआत के साथ जुड़ा हुआ है।
क्या कहते हैं स्वामी चिदानन्द सरस्वती
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि मासिक धर्म केवल महिलाओं के स्वास्थ्य का विषय नहीं है बल्कि यह पूरे परिवार और राष्ट्र के स्वास्थ्य का विषय है। माहवारी पर चुप्पी तोड़ना इसलिये भी जरूरी है क्योंकि मासिक धर्म हमारी बेटियों के जीवन का फुलस्टाप बनता जा रहा है इसलिये हर मंच से इस पर चितंन और एक्शन जरूरी है।
क्या कहती हैं साध्वी
डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती ने आज मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के अवसर पर कहा कि प्रत्येक महिला अपने जीवन के लगभग 7 वर्ष की अवधि माहवारी में बिताती है इसलिये हमें इस महत्वपूर्ण समय पर विशेष ध्यान रखना होगा। वर्तमान समय में भी कई स्थानों पर हमारी बेटियों के पास माहवारी से संबंधित पर्याप्त जानकारी और सुविधायें नहीं होती जिसके कारण उन्हें अपना स्कूल छोड़ना पड़ता हैं। अब समय आ गया है कि हम माहवारी के प्रति चुप्पी तोड़ें और वर्जनाओं को समाप्त कर बेटियों को शिक्षित करें।
वर्ष 2014 से हर साल 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य समाज में फैली हुई मासिक धर्म संबंधी गलत अवधारणाओं को दूर करना तथा किशोरियों तथा महिलाओं को इस संबंध में सही जानकारी उपलब्ध कराना है।