मंगरूआ
पटना: मोहे छोड़ परदेश मत जईह बलमा…मुजफ्फरपुर के लीचिआ खिअईह बलमा। लेकिन परदेशी बलमा तो अभी खुद ही कोरोना काल में परदेश से गांव लौटने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। लेकिन जो लोग परदेश में फंसे हुए है और कोरोना में लॉक डाउन का पालन कर रहे हैं, उनकी भी तो इच्छा होगी और सजनी का डिमांड भी होगा मुजफ्फर पुर के लीचिआ ले अईह बालमा। सजन का संदेश तो मोबाईल और सोशल मीडिया माध्यमों के जरिए इस महामारी के दौरान भी कमोबेश मिल ही जा रहा है लेकिन लीची और आम के उत्पादक किसान परेशान है और उपभोक्ता भी। इन्हीं लोगों को राहत देने के लिए ऐसे ही लोगों के ख्वाईश को पूरा करने के लिए आगे आया है डाक विभाग।
हालांकि महानगरों के बाजारों में प्रत्येक वर्ष की भांति आवक शुरू हो गया है लेकिन लॉकडाउन के कारण अभी ये फल पर्याप्त मात्रा में फल बाजारों में नहीं पहुंच पाएं हैं। बाजार से आम लोगों तक इसकी पहुंच सही तरीके से सुनिश्चित हो सके और लॉक डाउन भी सही तरीके से चलता रहे इसकी जिम्मेवारी उठाई है डाक विभाग और बिहार सरकार ने संयुक्त रूप से। बिहार सरकार ने भारतीय डाक के साथ मिलकर कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए लागू किये गये लॉकडाउन में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होता रहे लीची और आम के उत्पादकों को फलों को बेचने के लिए बाजार तक ले जाने की जद्दोजहद न करनी पड़े और आम लोगों की मांग को पूरी किया जा सके और किसान के तैयार उत्पाद को बिना किसी बिचौलिए के सीधे बाजार उपलब्ध हो सके इसके लिए बिहार सरकार के बागवानी विभाग एवं भारत सरकार के डाक विभाग ने इस पहल के लिए हाथ मिलाया है।
बिहार सरकार ने डाक विभाग की मदद से सोमवार से चुनिंदा जिलों में मुजफ्फरपुर की फेमस ‘शाही लीची’ और भागलपुर के जर्दालु आम की होम-डिलीवरी शुरू कर दी है। आरंभ में यह सुविधा ‘शाही लीची’ के लिए मुजफ्फरपुर और पटना के लोगों को तथा ‘जर्दालु आम’ के लिए पटना और भागलपुर के लोगों के लिए उपलब्ध होगी। लीची की बुकिंग न्यूनतम दो किग्रा तथा आम की बुकिंग न्यूनतम पांच किग्रा तक के लिए होगी। लोग ऑनलाइन तरीके से वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर आर्डर पेश कर सकते हैं। ऑनलाइन बुकिंग तथा दरवाजों तक पहुंचाने की सुविधा किसानों को सीधे तौर पर इस नए बाजार में अच्छा लाभ अर्जित करने में मदद करेगी। ग्राहकों को भी कम कीमत पर अपने दरवाजों तक इन फलों को प्राप्त करने का लाभ मिलेगा। अभी तक वेबसाइट पर 4400 किग्रा लीची के लिए ऑर्डर दिए जा चुके हैं। सीजन के दौरान यह 100,000 किग्रा तक जा सकता है। आमों के लिए ऑर्डर मई के अंतिम सप्ताह से आरंभ होंगे।
बीमारी का नहीं है कोई खतरा
पिछले साल जब मुजफ्फर पुर मे चमकी बुखार के प्रकोप के कारण बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो गई थी तब इस रहस्यमयी बीमारी के फैलाव के लिए कई लोगों ने लीची को जिम्मेवार बताया था। हालाकि अभी तक इसके लिए कोई पुख्ता प्रमाण नहीं दिया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि “बीमारी के लिए महज लीची को जिम्मेदार ठहरा कर हाथ झाड़ लेने से समस्या हल नहीं होगी। जरूरत है इस बीमारी की सही वजहों का पता लगा कर उनको दूर करने की। इसके साथ ही स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे को भी दुरुस्त करना होगा। बता दें पिछले साल बिहार में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बीमारी ने कई बच्चों की जान ले ली थी। उस वक्त कहा जा रहा था कि लीची खाने से बच्चे बीमारी पड़े थे। उसके बाद इस फल के सेवन को लेकर सवाल खड़े हो गए थे। मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ शैलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि फलों के सेवन और एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बीमारी के बीच कोई संबंध नहीं पाया गया है, जिसने पिछले साल राज्य में कई बच्चों की जान ले ली थी। “फल और एईएस बीमारी के बीच कोई संबंध नहीं है, जो मैंने देखा है। एईएस से प्रभावित बच्चों के मामले जनवरी-फरवरी से आने शुरू हो गए थे।”
लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ विशाल नाथ का कहना है कि यह फल वास्तव में लोगों का इम्यून सिस्टम मजबूत करने में सहायक होता है। उन्होंने यह भी कहा है कि’ शोध ने स्पष्ट किया था कि फल किसी भी तरह से एईएस बीमारी से जुड़ा नहीं है। लीची में ऐसा कुछ भी नहीं है जो किसी को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सके। इसके अलावा, एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन-सी, कैल्शियम, फास्फोरस, ओमेगा -3, अन्य को बढ़ावा देने में मदद करेगा। प्रतिरक्षा प्रणाली, जो COVID-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में काम आएगी।’
आर्पूती में हो सकती है देरी
शाही लीची की होम डिलीवरी भले ही शुरू हो गई है, जबकि भागलपुर के ‘जरदालु आम’ की होम डिलिवरी जून से शुरू होगी बावजूद इसके शाही लीची के आर्पूती में थोड़ी दे हो सकती है। उद्यान विभाग से जुड़े अधिकारी अरुण कुमार ने कहा है कि उन्होंने जिले के 50 से अधिक लीची बाग का निरीक्षण किया। साथ ही फल की जांच की। इसमें पाया कि फल पूरी तरह तैयार नहीं है। फल में मिठास नहीं है। फल अभी खट्टे हैं। ऐसे में इसके पकने का इंतजार करना ही बेहतर होगा। समय पूर्व खाने में इसका पूरा स्वाद नहीं आएगा। इस वजह से होम डिलीवरी के लिए लोगों का इंतजार और बढ़ गया है। सहायक निदेशक उद्यान अरुण कुमार ने बताया कि फल पका नहीं है। ऐसे में खट्टे फल की होम डिलीवरी से बदनामी होती। होम डिलीवरी को तत्काल रोक दिया गया है। दो- तीन दिन में जब फल पूरी तरह तैयार हो जाएगा, तब इसकी होम डिलीवरी की जाएगी।
तो स्पष्ट है डाक बाबू इस बार चिट्ठी भले ही न ला पायें लेकिन वे आपके लिए लीची और जर्दालु आम के खेप के साथ आपका दरवाजा कभी भी खटखटा सकते हैंं जिससे किसी सजनी का अपने सजन से मुजफ्फर पुर के लीची और भागलपुर के जर्दालु आम मंगाने की ख्वाइश पूरी हो सकती है।